यूपी STF के आईजी अमिताभ यश ने कहा, सुबह 9 बजे गोरखपुर से गिरफ्तार किया गया है।
- +3और स्लाइड देखेंगिरफ्तारी के बाद मुंह छुपाता रहा आरोपी डॉ. कफील खान।गोरखपुर. बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुई बच्चों की मौत के मामले में तीसरे बड़े आरोपी डॉ. कफील खान को यूपी एसटीएफ ने गोरखपुर से गिरफ्तार किया है। सूत्रों के मानें, तो कफील खान कहीं भागने की फिराक में था, कार्रवाई करते हुए यूपी एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया। देर शाम 14 दिन की जूडिशियल कस्टडी में उन्हें जेल भेज दिया गया। बताया जाता है कि कफील को डॉ. राजीव मिश्रा के साथ ही आदर्श कैदी नेहरू बैरक में रखा गया है। इससे पहले शुक्रवार शाम डॉ. कफील और डॉ. सतीश सहित फरार चल रहे 7 अन्य आरोपियों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट (NBW) जारी किया गया। बता दें कि अगस्त में गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल हॉस्पिटल में 30 बच्चों से समेत 60 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। जांच में नहीं किया सहयोग...-यूपी STF के आईजी अमिताभ यश ने कहा, "गोरखपुर से डॉ कफील खान की गिरफ्तारी हुई है। बीआरडी में हुई बच्चों की मौत के बाद इन पर करप्शन के मामले चल रहे थे।जांच में सहयोग के लिए समय पर मौजूद नहीं रहते थे। इस वजह से इनकी गिरफ्तारी यूपी एसटीएफ ने की है। आगे की कार्रवाई के लिए यूपी STF ने गोरखपुर पुलिस को सौंपा है।"राजीव मिश्रा और पूर्णिमा की हुई थी गिरफ्तारी- 30 अगस्त को बीआरडी मेडिकल कॉलेज में मरीजों की मौत के मामले में पूर्व प्रिंसिपल डॉ. राजीव मिश्र और उनकी पत्नी पूर्णिमा शुक्ला को ट्रांजिट रिमांड पर कानपुर से गोरखपुर लाया गया था। ACB कोर्ट में दोनों को 14 दिन की ज्यूडिशियल कस्टडी में भेज दिया है।- बता दें, 29 अगस्त को एसटीएफ ने डॉ. राजीव मिश्र और डॉ. पूर्णिमा शुक्ला को कानपुर में अरेस्ट किया था।जांच रिपोर्ट में किसके लिए कौन है दोषीमेसर्स पुष्पा सेल्स लिमिटेड : लिक्विड ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाली इस फर्म दायित्व का सम्यक निर्वाह न करने और सदोष मानव वध (हत्या) का दोषी ठहराया गया है।निलंबित प्राचार्य राजीव मिश्र : फाइनेंशियल ईयर 2017-18 के लिए 454 लाख रुपए आवंटित होने के बावजूद ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली फर्म को 63.65 लाख रुपए का धन उगाही के लालच में भुगतान न करने पर प्रिंसिपल राजीव मिश्र को अवैध आर्थिक लाभ के लिए कर्मचारियों के साथ सांठगांठ करने का दोषी माना गया है।-प्रिंसिपल पर वित्तीय वर्ष 2016-17 में 250 लाख रुपए लैप्स करवाने और अगस्त महीने में पर्याप्त बजट होने के बावजूद ऑक्सीजन की सप्लाई करने वाली फर्म का भुगतान न करने के लिए भी जिम्मेदार ठहराया गया है।-इसके साथ ही ऑक्सीजन का संकट खड़ा होने पर उच्चाधिकारियों को जानकारी दिए बगैर मुख्यालय छोड़ने का भी दोषी माना गया है। उनके इन कृत्यों को जांच रिपोर्ट में इसे आपराधिक षड्यंत्र बताया गया है।डॉ.सतीश : एनेस्थीसिया/ऑक्सीजन विभाग के एचओ डी डॉ. सतीश को ऑक्सीजन की सप्लाई ठप होने पर यह जानते हुए कि इससे बच्चों की मृत्यु हो सकती है, मानव जीवन रक्षा का प्रयास करने की बजाय 11 अगस्त को बिना अनुमति के हेडक्वार्टर छोड़ने के लिए दोषी ठहराया गया है।डॉ.कफील खान : 100 बेड एईएस वार्ड के नोडल ऑफिसर डॉ. कफील खान को ऑक्सीजन की कमी होने पर बच्चों की मौत होने की आशंका के बावजूद मामला सीनियर ऑफिसर्स के संज्ञान में न लाने और गवर्नमेंट ड्यूटी को नजरअंदाज कर पत्नी शाइस्ता खान के नर्सिंग होम में अपने नाम का बोर्ड लगाकर प्रैक्टिस करने का दोषी माना गया है।- इसके साथ ही जांच में उनको ऑक्सीजन की सप्लाई ठप होने पर गलत तथ्यों को प्रस्तुत करने के लिए दोषी पाया गया है।क्लर्क: कनिष्ठ सहायक लिपिक लेखा अनुभाग उदय प्रताप शर्मा, सहायक लिपिक लेखा संजय कुमार त्रिपाठी और सुधीर कुमार पांडेय को अवैध ढंग से आर्थिक लाभ की नीयत से प्रिंसिपल से सोची समझी चाल के तहत सांठगांठ कर भुगतान रोकने के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।डॉ. पूर्णिमा शुक्ला : निलंबित प्रिंसिपल राजीव मिश्र की वाइफ डॉ. पूर्णिमा शुक्ला को कर्मचारियों को फोन कर अवैध धन उगाही करने का दोषी ठहराया गया है।-रिपोर्ट में माना गया है कि ऑक्सीजन आपूर्ति करने वाली फर्म से कमीशन न मिलने की वजह से डॉ. पूर्णिमा शुक्ला के कहने पर उसका भुगतान रोक दिया गया था। जिसकी वजह से यह संकट खड़ा हुआ। संबंधित कर्मचारी ने इनके विरूद्ध बयान भी दर्ज कराया है।क्या है गोरखपुर ट्रेजिडी?
- बाबा राघव दास (BRD) मेडिकल कॉलेज में 7 अगस्त से लेकर 12 अगस्त तक 30 बच्चों समेत 60 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी थी। आरोप है कि ये मौतें हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की सप्लाई बंद होने की वजह से हुईं। कहा गया कि पुष्पा सेल्स नाम की कंपनी ने पेमेंट बकाया होने की वजह से ऑक्सीजन सिलेंडर की सप्लाई रोक दी थी। कंपनी ने कहा कि हमने 14 रिमांडर भेजे, लेकिन इसके बाद भी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने कोई एक्शन नहीं लिया।16 अगस्त को भी इलाहाबाद हाईकोर्ट में पिटीशन हुई दायर
- 16 अगस्त को इस मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई। इस पिटीशन में ज्युडीशियल इंक्वायरी और मारे गए लोगों के परिवारवालों को मुआवजा देने की मांग की गई।
- पिटीशन में डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस पर भी रोक लगाने की भी मांग की गई। ये पिटीशन एडवोकेट सुनीता शर्मा और सोशल एक्टिविस्ट कमलेश सिंह ने दायर की।UP सरकार ने क्या कदम उठाया?
- बच्चों की मौत का मामला सामने आने के बाद बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल राजीव मिश्रा को 12 अगस्त को सस्पेंड कर दिया। इसके बाद उन्होंने कहा कि मैंने अपनी जिम्मेदारी मानते हुए सस्पेंशन से पहले ही इस्तीफा सौंप दिया था।
- इसके बाद 13 अगस्त को योगी आदित्यनाथ ने मेडिकल कॉलेज का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने बंद कमरे में यहां के स्टाफ की क्लास लगाई। विजिट के बाद सीएम योगी ने कहा कि बच्चों की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ हर मुमकिन कदम उठाया जाएगा।
- इसी दिन हॉस्पिटल के सुपरिंटेंडेट और वाइस प्रिंसिपल डॉक्टर कफील खान को पद से हटा दिया गया। उनकी जगह डॉ. भूपेंद्र शर्मा को अप्वाइंट किया गया।
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