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Thursday 31 August 2017

इमरजेंसी से लेकर राम मंदिर आंदोलन तक जुड़ी है डॉ. महेंद्र नाथ के संघर्ष की कहानी

इमरजेंसी से लेकर राम मंदिर आंदोलन तक जुड़ी है डॉ. महेंद्र नाथ के संघर्ष की कहानी
डॉ महेंद्र नाथ पांडेय (File Photo)
News18Hindi
Updated: August 31, 2017, 7:09 PM IST
उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के नए अध्यक्ष बनाए जाने वाले डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय की छवि बेहद संघर्षशील नेता की रही है. 2014 में वह बीजेपी के टिकट पर चंदौली से सांसद चुने गए. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कैबिनेट विस्तार में उन्हें राज्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई. इसके बाद से वह मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.
महेंद्र नाथ पांडेय छात्र जीवन से ही आरएसएस से जुड़े रहे हैं. इसके साथ ही वह लगातार समाज सेवा में सक्रिय रहे हैं. उनके करीबी बताते हैं कि कार्य के प्रति समर्पण भाव और जीवटता की उनकी लंबी कहानी है. डॉ. पांडेय इमरजेंसी के दौरान 5 महीने जेल में रहे. वहीं रामजन्म भूमि आंदोलन में इनकी सक्रिय भूमिका के कारण मुलायम सरकार में इन पर रासुका तक लगा दी गई थी.
पखनपुर गांव में हुआ जन्म
डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय का जन्म 15 अक्टूबर 1957 को गाजीपुर के सैदपुर के पखनपुर गांव में हुआ. बेहद प्रतिभावान रहे डॉ. पांडेय के पास एमए, पीएचडी के साथ ही पत्रकारिता की भी मास्टर डिग्री है. उनकी पूरी शिक्षा-दीक्षा वाराणसी में हुई है.
समाज सेवा में सक्रियता के साथ ही महेंद्र पांडेय ने छात्र राजनीति में भी खूब हिस्सा लिया. 1973 में वह सीएम एंग्लो बंगाली इंटर कॉलेज में अध्यक्ष चुने गए. इसके बाद 1978 में बीएचयू के छात्रसंघ के महामंत्री बने.
सरकार और संगठन में मजबूत पकड़
पहली बार डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय वर्ष 1991 में बीजेपी के टिकट पर विधायक बने. इसके बाद उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकारों में उन्हें नगर आवास राज्य मंत्री, नियोजन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और पंचायती राज मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) की जिम्मेदारी दी गई. सरकार के साथ ही संगठन में भी महेंद्र नाथ पांडेय की अच्छी पकड़ मानी जाती है. भाजपा के संगठन में वह क्षेत्रीय अध्यक्ष समेत प्रदेश के महामंत्री पद की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं.
आरएसएस से जुड़े डॉ. पाण्डेय को 16वीं लोकसभा में चंदौली से भाजपा ने टिकट दिया. इस दौरान उन्होंने बीएसपी के अनिल मौर्य को करीब 2 लाख वोट से हराया था. चुनाव में महेंद्र पांडेय को 4 लाख 14 हजार 134 वोट मिले.
संसद में निभाते हैं बेहद सक्रिय भूमिका
बतौर सांसद सदन में डॉ. पांडेय बेहद सक्रिय नजर आते हैं. वह संसद में कई मुद्दे उठाते रहे हैं. यही नहीं, देश-विदेश की चर्चा में भी हिस्सा लेते रहे हैं. वह पीने के साफ पानी, बिजली की व्यवस्था, परिवहन (रेल, सड़क), प्राइमरी शिक्षा, स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन आदि मुद्दों पर हमेशा से आक्रामक रहे हैं.
संसद की कार्यवाही के दौरान चंदौली के अहम मुद्दों समेत देश-विदेश के मुद्दों को हमेशा से उठाते रहने के कारण वह हमेशा चर्चा में बने रहते हैं. मुगलसराय से राजधानी लखनऊ के लिए शुरू की गई विशेष ट्रेन के संचालन के पीछे डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय को ही श्रेय दिया जाता है.
बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता मनीष शुक्ल कहते हैं कि डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय के संघर्षपूर्ण जीवन का एक लंबा इतिहास रहा है. उनके पास विद्यार्थी परिषद से लेकर तमाम प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के आंदोलनों व संगठन का अनुभव है. उनको प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने से कार्यकर्ताओं में खुशी का ठिकाना नहीं है. वे उनके अनुभव का लाभ लेने के लिए उत्साहित हैं. हमें उम्मीद है कि उनके अनुभवी नेतृत्व में पार्टी सफलता के नए आयाम तय करेगी.
First published: August 31, 2017

डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय बने यूपी बीजेपी के नए अध्यक्ष

डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय बने यूपी बीजेपी के नए अध्यक्ष
डॉ महेन्द्र नाथ पांडेय उत्तर प्रदेश बीजेपी के नए अध्यक्ष बनाए गए हैं. राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने उन्हें कमान सौंपी.
News18Hindi
Updated: August 31, 2017, 7:06 PM IST
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने चंदौली से पार्टी सांसद डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय को उत्तर प्रदेश बीजेपी का नया अध्यक्ष नियुक्त किया है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने महेंद्र नाथ पांडेय को उत्तर प्रदेश की कमान सौंपी है.
पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और मुख्यालय प्रभारी अरुण सिंह ने गुरुवार को एक पत्र जारी कर बताया है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है. उनकी नियुक्ति तत्काल प्रभाव से लागू होगी.
सांसद डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय इस समय केंद्र में मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री भी हैं. दरअसल, प्रदेश अध्यक्ष पद पर यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का कार्यकाल काफी समय पहले ही पूरा हो गया था, लेकिन नए अध्यक्ष की खोज में वह कार्यवा​हक के तौर पर जिम्मेदारी संभाल रहे थे.

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