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Tuesday 29 August 2017

देश के टॉप 10 बिजनेसमैन भले हो गए अडानी, गरीबी में संघर्ष याद करने पैतृक घर जरूर जाते हैं

देश के टॉप 10 बिजनेसमैन भले हो गए अडानी, गरीबी में संघर्ष याद करने पैतृक घर जरूर जाते हैं
5 August 06:50 2016

नवनीत मिश्र
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नई दिल्लीः कुछ किस्मत से, कुछ अपने शार्प बिजनेस माइंड से और कुछ सियासत के दिग्गजों से नजदीकियां बनाकर। इन तीन समीकरणों के दम पर आज 60 हजार करोड़ का आर्थिक साम्राज्य खड़ा करने वाले पीएम मोदी के करीबी 54 वर्षीय बिजनेसमैन गौतम अडानी कभी दाने-दाने को मोहताज थे। 12 साल की उम्र तक जिस घर में रहे, उसकी हालत देखकर आपको उनके परिवार की माली हालत का अंदाजा खुद लग जाएगा। संकरे मकान में किसी तरह उनका लंबा-चौड़ा परिवार गुजर-बस करता था। खास बात है कि आज भी वे बेटे-बहू के साथ इस मकान में जाते हैं। इस दौरान वे परिवार के साथ अपने संघर्ष को याद करते हैं। 
बेटों को एक आम आदमी से बड़ा बिजनेसमैन बनने तक के कठिन  सफर से रूबरू कराते हैं। 
गुजरात के बनासकांठा जिले में है पैतृक मकान
गौतम अडानी का पैतृक घर गुजरात के बनासकांठा जिले के थराद में हैं। पिता शांतिलाल कपड़ा बेचकर किसी तरह सात बेटे-बेटियों का परिवार चलाते थे। संकरे मकान में पूरा परिवार रहता था। गौतम अडानी ने जब बिजनेस शुरू किया तो आर्थिक स्थिति संवरतनी शुरू हुई। धीरे-धीरे व देश के बड़े बिजनेस घरानों के टक्कर में अपने साम्राज्य को खड़ा करने में सफल रहे। फिर मकान तो छूटना ही थी। अब इस मकान में दिनेशभाई रहते हैं। दिनेशभाई कहते हैं कि कई बार उन्होंने किराया देने की कोशिश की मगर गौतम अडानी मना कर देते हैं। कहते हैं कि वे चाहते हैं कि बस घर की साफ-सफाई होती रहे। 
जब बहू ने पूछा पापा यह क्या है


दिनेशभाई कहते हैं कि एक बार गौतम अडानी बेटे और बहू के साथ पैतृक घर पहुंचे। घर में मौजूद फानूस को देखकर बहू ने पूछा कि पापा कौन सी चीज है। इस पर अडानी ने बताया, बेटा जब हमारे बचपन के जमाने में बिजली नहीं रहती थी, तब दादा-पिता लोग फानूस का इस्तेमाल उजाले के लिए करते थे। इस पर बहू अपने साथ फानूस लेते गईं। 
जानिए, अडानी के संघर्ष की कहानी, 18 साल में भागे थे घर से
गौतम अडानी के दिमाग में हमेशा रातोंरात अमीर बनने के सपने आते थे। 12 वीं पास होते ही बीकाम करने के लिए अहमदाबाद के कॉलेज में दाखिला लिया। मगर मन नहीं लगा तो 18 साल की उम्र में अहमदाबाद में पिता शांतिलाल के कपड़ों का व्यापार छोड़कर मुंबई भाग निकले। यहां हीरे की कंपनी महिंद्रा ब्रदर्स में महज तीन सौ रुपये पगार पर अडानी काम करने लगे। दिमाग तो था ही इधर-उधर से कुछ पैसा जुटा तो 20 साल की उम्र में ही हीरे का ब्रोकरेज आउटफिट खोलकर बैठ गए। किस्मत ने साथ दिया और पहले ही साल कंपनी ने लाखों का टर्नओवर किया। फिर भाई मनसुखलाल के कहने पर अडानी मुंबई से अहमदाबाद आकर भाई की प्लास्टिक फैक्ट्री में काम करने लगे। पीवीसी इंपोर्ट का सफल बिजनेस शुरू हुआ। डेंटिस्ट प्रीति से उन्होंने शादी रचा ली। दोस्त मलय महादेविया को अपने साथ साये की तरह इसलिए अडानी रखते थे क्योंकि कम पढ़ाई के कारण उनकी अंग्रेजी खराब थी। अफसर व कारोबारियों से धारा प्रवाह अंग्रेजी में बिजनेस डील करने में परेशानी होती थी। अडानी की यह खूबी कही जाएगी कि उन्होंने अपनी कंपनियों में आज भी मलय को बड़े पद दे रखे हैं। 
1988 में गौतम ने डाली थी  अडानी ग्रुप की नींव
जब प्लास्टिक कारोबार से पूंजी इकट्ठा हुई तो 1988 में गौतम ने अडानी एक्सपोर्ट लिमिटेड की नींव शुरू की। यह कंपनी पॉवर व एग्रीकल्चर कमोडिटीज के सेक्टर में काम करने लगी। गौतम अडानी के पेशेवर हुनर ने तीन साल में ही कंपनी के पैर जमा दिए। इस बीच धीरे-धीरे एक्सपोर्ट का कारोबार गति पकड़ता रहा। धीरे-धीरे उन्होंने पोर्ट सहित कई कारोबार में हाथ डाले तो हर जगह सफलता नसीब हुई। के बारे में बताया जाता है कि एक बार उनकी कंपनी के एकाउंटेंट ने कोई बड़ी गलती कर दी, जिससे लाखों का नुकसान होने पर उसने बिना कुछ कहे-सुने अडानी के सामने इस्तीफा रख दिया। इस्तीफा हाथ में लेकर अडानी ने फाड़ दिया। कहा कि तुम्हें  गलती का अहसास हो गया, यही बहुत है। अब तुम दोबारा गलती नहीं करोगे। अगर तुम्हें रिलीव कर दूंगा तो नुकसान मेरा हुआ और यहां से गलती से जो सीखे हो उसका फायदा दूसरे कंपनी को मिलेगा। इससे पता चलता है कि अडानी किस तरह बिजनेस कार्यकुशलता रखते हैं। आज फोर्ब्स पत्रिका की नजर में अडानी की संपत्ति 7.1 बिलियन है। 

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